chup na raho
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कोई पंद्रह दिन पहले किसी ने कमेन्ट किया था
चलो एक बार मान लेते है.
फिर भी आपको किसी के प्रति आस्था या विश्वास रख कर चलना ही होगा.
यह आस्था अपने नेता के प्रति ( चीन के संदर्भ में माओ ) भी हो सकती है जिनके विचारों को मान कर आज यह देश काफी तरक्की कर गया है.
यह आस्था अपने माता पिता के प्रति भी हो सकती है.
यह आस्था आप के खुद के प्रति भी हो सकती है.
अरे भाई किसी को शक्ति स्वरुप में मानना ही उस परम तत्वा को मानने के तुल्य है.
हमने उसे ईश्वर कहा क्या बुरा किया.
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