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करूँ क्या आस निराश भई

chup na raho
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एक जन मानस सिवाय सोचने के और क्या कर सकता है.
जब गुलिस्तान को बर्बाद करने एक ही काफी है फिर निश दिन नए नए अवतार
श्रीमान एकमेव दिग्विजय सिंघजी काफी थे. उनकी पढाई लिखाई के बारे तो विशेष ज्ञात नहीं फिर भी उनकी वाक् शक्ति के हम सब मुरीद है. उनकी पाव को मुह में रखने की पुरानी बीमारी है
लेकिन जब देश का कानून मंत्री ही कमर कश ले की कानून की ऐसी की तैसी करने की तो फिर अंजामे गुलिस्तान क्या होगा.

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