chup na raho
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आज स्तिथि यह है की आम भारतीय किस भी चीज़ पर अपना मन प्रकट नहीं करते हैं. नतीजा यह हो रहा है की सब कुछ चंद हाथों में सिमटा जा रहा हैं.
अभी कुछ दिन पहले ही ऐसा विचार सुनने को मिला की ऐसी हालत रही तो कुछ सालों में लोकसभा केवल ५४३ परिवारों की निजी जागीर हो जायेगी.
नौकरियां तो पहले ही कुछ हाथों में जा चुकी हैं. बची खुची आरक्षण के कारन चली जायेगी.
इसलिए बोलना और लिखना जरूरी हैं
तो, चुप न रहो.
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